Saturday, September 15, 2007

aaStha, BJP aur parinati

आस्था, बीजेपी और परिणति
दैनिक
जागरण ने अपने सम्पादकीय मे पाठकों को 'हे राम' शीर्षक द्वारा बताया है कि राम हिंदुओं की आस्था से जुड़ा है। यही बात बीजेपी के लोग, सांसद राजीव शुक्ल व अन्य लोग भी शियार की भाँती चिल्ला रहे हैं।
इन मूर्खों को यह भी नहीं मालूम कि यही आस्था, जिसके विरोध का किसी को संवैधानिक अधिकार नहीं, संविधान के अनुच्छेद २९(१) से संरक्षित, पोषित और प्रेरित है। यही आस्था मुसलमानों व ईसाइयों को ईश्वरीय आदेश व असीमित संवैधानिक अधिकार देती है कि मुसलमान हिंदुओं का इसलिये नरसंहार करें कि वे मूर्तिपूजक हैं (कुरान सूरह बकर २:१९१-१९३) और ईसाई इसलिये हिंदुओं का नरसंहार करें कि हिंदू ईसा को अपना राजा स्वीकार नहीं करते (बाइबिल, लूका १९:२७)। यदि नारी मुसलमान है तो उसका बलात्कार ईसाई करेगा (बाइबिल, याश्याह १३:१६) और ईसाई है तो मुसलमान (कुरान २३:६)। सर्वाधिक दुर्दशा हिंदू नारियों की है, जिनका बलात्कार ईसाई भी करेगा व मुसलमान भी. यह ईश्वरीय आदेश है. संविधान से पोषित है और सत्ता से जुड़ा प्रत्येक सांसद, जज व जनसेवक जातिहिंसा, लूट व नारी बलात्कार का समर्थन करने के लिए विवश है। बात यहीं समाप्त नहीं होती। न्यायपालिका ने कुरान व बाइबिल को धर्मपुस्तक, ईसाइयत व इस्लाम को धर्म और अजान को उपासना स्वीकार कर उसे आस्था से जोड़ दिया है, जिसके विरुद्ध कोई जज सुनवाई ही नहीं कर सकता. (ये आई आर, १९८५, कलकत्ता उच्च न्यायालय, १०४)। प्रत्येक सांसद व जज संविधान मे श्रद्धा व निष्ठा की शपथ लेता है (भारतीय संविधान, तीसरी अनुसूची) और प्रत्येक राज्यपाल व राष्ट्र पति संविधान के रक्षा की।
उल्लेखनीय है कि सत्ता के शिखर पर सुपर प्रधानमंत्री इंटोनिया माएनो बैठी है, जिसे हिंदुओं की जातिहिंसा यानी जेनोसाईड से कौन रोक लेगा?
एक ओर लोकतंत्र है और दूसरी ओर आर्यावर्त सरकार। हिंदू स्वयम निर्णय करें कि वे अपनी रक्षा चाहते हैं या सत्यानाश।
अप्रति